tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post5598995716158116733..comments2024-01-07T14:43:29.542+05:30Comments on झरोख़ा: रिश्तों की गहराती दलदल ......निवेदिता श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-55834564383533858712014-02-27T12:22:44.241+05:302014-02-27T12:22:44.241+05:30रिश्तों का बंधन भी
अनोखा बंधन है जो बिना बांधे भी...रिश्तों का बंधन भी<br />अनोखा बंधन है जो बिना बांधे भी बांधकर रखता है <br />............ ये रिश्तों की<br />गहराती दलदल<br />छोड़ो भी ,<br />इस से हमें क्या<br />आओ ! चलो <br />इस में डूब कर<br />कहीं दूर मिल जायें ……बहुत खूब लिखा है आपने <br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-45685664223295224242014-02-27T12:21:12.443+05:302014-02-27T12:21:12.443+05:30रिश्तों का बंधन भी
अनोखा बंधन है जो बिना बांधे भी...रिश्तों का बंधन भी<br />अनोखा बंधन है जो बिना बांधे भी बांधकर रखता है <br />............ ये रिश्तों की<br />गहराती दलदल<br />छोड़ो भी ,<br />इस से हमें क्या<br />आओ ! चलो <br />इस में डूब कर<br />कहीं दूर मिल जायें ……बहुत खूब लिखा है आपने <br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-1173122133438745742014-02-26T19:59:01.943+05:302014-02-26T19:59:01.943+05:30bahut sundar.........wahbahut sundar.........wahAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-11057164387123239512014-02-26T19:52:08.856+05:302014-02-26T19:52:08.856+05:30यह बंधन तो प्यार का बंधन है जन्मों का संगम है .......यह बंधन तो प्यार का बंधन है जन्मों का संगम है ....:)Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-6680328734943533582014-02-26T19:25:18.590+05:302014-02-26T19:25:18.590+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..!
RECENT POST - फागुन की ... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..!<br /><br /><b>RECENT POST -</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2014/02/blog-post_25.html#links" rel="nofollow"> फागुन की शाम.</a><br />धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-88889599059903754212014-02-26T19:10:56.015+05:302014-02-26T19:10:56.015+05:30सच में
बड़ी ही
अजीब सी है
ये रिश्तों की
गहराती दलदल...सच में<br />बड़ी ही<br />अजीब सी है<br />ये रिश्तों की<br />गहराती दलदल<br />छोड़ो भी ,<br />इस से हमें क्या<br />आओ ! चलो <br />इस में डूब कर<br />कहीं दूर मिल जायें<br /><br />सुंदर पंक्तियाँ...Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-63155070913116906372014-02-26T16:49:47.152+05:302014-02-26T16:49:47.152+05:30रिश्ते बनाओ तो अनजाने ही बँधे चले जाते हैं .... और...रिश्ते बनाओ तो अनजाने ही बँधे चले जाते हैं .... और इलास्टिक की तरह कभी पास तो कभी दूर होकर भी जुड़े रहते हैं ..... अब दलदल ही सही ..डुबेंगे चलो मिलने के लिए ...ये भी सही ...... Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-19825896459791319012014-02-26T16:44:39.307+05:302014-02-26T16:44:39.307+05:30रिश्ते दलदल की तरह देखें जा सकते हैं, पर डूबकर मरन...रिश्ते दलदल की तरह देखें जा सकते हैं, पर डूबकर मरना नहीं, जीना होता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-27822825868299224402014-02-26T15:20:51.596+05:302014-02-26T15:20:51.596+05:30ये रिस्तों की डोरी है जिसमे गाँठे भी हैं और उन्हे ...ये रिस्तों की डोरी है जिसमे गाँठे भी हैं और उन्हे खोलने का भरोषा भी अच्छी कविता बधाईAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-14041470773526242662014-02-26T14:48:11.636+05:302014-02-26T14:48:11.636+05:30बहुत प्यारी कविता है निवेदिता... अब डोर है, तो उलझ...बहुत प्यारी कविता है निवेदिता... अब डोर है, तो उलझना-सुलझना तो लगा ही रहता है न डोर का :)वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-73134153091018261422014-02-26T13:49:31.169+05:302014-02-26T13:49:31.169+05:30रिश्तों की डोरी ऐसी ही है ....कभी उलझती कभी सुलझ...रिश्तों की डोरी ऐसी ही है ....कभी उलझती कभी सुलझती डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-51715112579938701762014-02-26T12:16:36.753+05:302014-02-26T12:16:36.753+05:30रिश्तों की कॉम्प्लेक्स बनावट को इस कविता की सहज बु...रिश्तों की कॉम्प्लेक्स बनावट को इस कविता की सहज बुनावट ने और भी अलग से प्रस्तुत किया है!! बहुत अच्छा है!! रिश्ते दलदल में न फँसे, बल्कि मानसरोवर सा विस्तार, शांति और शीतलता पाएँ!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com