शनिवार, 9 मई 2020

आपाधापी के दौर में ...

आज की इस आपाधापी के दौर में
कुछ यूँ रस्मे उल्फत चलो निभाते हैं

कुछ मैं करती हूँ कुछ तुम समेट लो
चलो कुछ यूँ अपने काम बाँट लेते हैं

नानाविध भोजन हम पका लाते हैं
बर्तनों की निगहबानी तुम कर लो

झाड़ू डस्टिंग तो हम कर ही आएंगे
पोछे की बाल्टी जानम तुम ले आओ

कहो तो सौंफ इलायची हम चख लेंगे
तुम तो बस वो सौंफ़दानी उठा लाओ

किधर चल दिये अब ऑफिस को तुम
जरा रुको लैपटॉप मैं ले कर आती हूँ

वक्त का पहिया चल पड़ा उल्टी चाल
दो से चार हुए अब चार से फिर दो हुए

ई सी जी के रिपोर्ट सी  देखती चेहरा
कभी कुछ शब्द भी तुम  लुटा जाओ

बीतती जा रही अनमोल ये ज़िंदगी
बाद में तुम भी याद कर पछताओगे

कितने लम्हों को थामे ये 'निवी' खड़ी
दो चार लम्हे तुम भी कभी खोज लाओ
       .... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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