tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post7040122712234458615..comments2024-01-07T14:43:29.542+05:30Comments on झरोख़ा: यत्र नार्यस्तु ......... निवेदिता श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-17887339838923306412012-09-10T18:42:54.676+05:302012-09-10T18:42:54.676+05:30''दिगम्बर नासवा जी'' के विचारों से...''दिगम्बर नासवा जी'' के विचारों से मैं बिलकुल सहमत हूँ,,,और ये मानसिकता हम पहले अपने-अपने घरों में ही बदल सकें तो क्या कहना....बढ़िया आलेख!Raginihttps://www.blogger.com/profile/18060074016004549022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-46748195501156987422012-09-09T19:07:39.681+05:302012-09-09T19:07:39.681+05:30अघटित को रोकने के लिये स्वयं ही बहुत कुछ करते रहने...अघटित को रोकने के लिये स्वयं ही बहुत कुछ करते रहने की आवश्यकता है...सुदृढ़ भविष्य निर्माण करते रहने की।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-56182749412979000342012-09-09T00:06:11.521+05:302012-09-09T00:06:11.521+05:30वैचारिक आलेख .......एक दूजे का पूरक बनाना होगा .....वैचारिक आलेख .......एक दूजे का पूरक बनाना होगा ..... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-30283233298718911832012-09-08T17:27:56.983+05:302012-09-08T17:27:56.983+05:30सार्थक लिखा है ... व्यक्ति बन के सोचना जरूरी है पर...सार्थक लिखा है ... व्यक्ति बन के सोचना जरूरी है पर पुरुष प्रधान समाज इस मानसिकता को बदले तब ही ऐसा संभव है ... धीरे धीरे शायद कुछ बदलाव आए ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-45320910080494265252012-09-08T16:10:50.594+05:302012-09-08T16:10:50.594+05:30अंत मे आपने समाधान दे ही दिया।अंत मे आपने समाधान दे ही दिया।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-74798721670328583562012-09-08T15:24:23.816+05:302012-09-08T15:24:23.816+05:30बहुत सार्थक लिखा है .... बहुत सार्थक लिखा है .... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-89670301391142742172012-09-08T13:12:26.517+05:302012-09-08T13:12:26.517+05:30सटीक आलेखसटीक आलेखvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-36774437343851673512012-09-08T11:11:43.952+05:302012-09-08T11:11:43.952+05:30समाज में नारी का सम्मानित स्थान है यदि कोई भी नारी...समाज में नारी का सम्मानित स्थान है यदि कोई भी नारी जाति का अपमान करता है तो,वह समाज देश इंसानियत का गुनहगार है,,,,,,<br /><br />RECENT POST<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/09/blog-post.html#links" rel="nofollow">,तुम जो मुस्करा दो,</a><br />धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-8136149482512677332012-09-08T10:58:21.733+05:302012-09-08T10:58:21.733+05:30जी ,मै यही सोचती हूँ कि अगर हर व्यक्ति अपनी गरिमा ...जी ,मै यही सोचती हूँ कि अगर हर व्यक्ति अपनी गरिमा का निर्वहन करे तो ऐसी समस्या कभी उपजे ही न .... सादर !निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-27984738704444148512012-09-08T10:36:43.532+05:302012-09-08T10:36:43.532+05:30निवेदिता जी बहुत सार्थक और संपूर्ण लेख है
आप की ब...निवेदिता जी बहुत सार्थक और संपूर्ण लेख है <br />आप की बात बिल्कुल सही है कि नारी को ही इस का उत्तरदायित्व संभालना होगा परंतु अक्सर इसके विपरीत ही होता है नारियाँ ही पीड़िता की व्यथा का कारण बन जाती हैं<br />समाज में नारी और पुरुष का अपना अपना सम्मानित स्थान है और दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिये तभी एक स्वस्थ समाज बनता है<br />एक सशक्त लेख के लिये बधाईइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-43365204212564051032012-09-08T10:07:40.129+05:302012-09-08T10:07:40.129+05:30जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्र...जब मैं किसी नारी के सामने खड़ा होता हूँ तो ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर के सामने खड़ा हूँ. — एलेक्जेंडर स्मिथ<br />नारी की उन्नति पर ही राष्ट्र की उन्नति निर्धारित है.मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-65020786465298776552012-09-08T09:48:46.431+05:302012-09-08T09:48:46.431+05:30सहमत हूँ अनु आपसे ... मैं अपने स्त्री के किसी रूप ...सहमत हूँ अनु आपसे ... मैं अपने स्त्री के किसी रूप को लेकर शर्मिन्दगी नही महसूस करती और न ही आक्रोशित होती हूँ ...... अपना तो फण्डा ही यही है मै जो हूँ वही रहूंगी , अगर कोई गलत समझता है तो ये उसकी गलती है मैं क्या कर सकती हूँ उसका .....सस्नेह !निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-12101031420984817382012-09-08T08:54:31.876+05:302012-09-08T08:54:31.876+05:30सटीक बात निवेदिता जी.....
जाने क्यूँ लिंगभेद से ऊप...सटीक बात निवेदिता जी.....<br />जाने क्यूँ लिंगभेद से ऊपर उठ कर नारी को एक इंसान के रूप में क्यूँ नहीं देखा जाता...<br />सबसे अधिक जो बात मुझे कचोटती है वो ये कि कोई बेटी सफल है...माँ बाप का सहारा है तो वे कहते हैं ये हमारी बेटी नहीं बेटा है....क्यूँ भाई...मुझे नामंज़ूर है बेटा होना...<br /><br />सस्नेह<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-27933449400021908792012-09-08T08:07:52.914+05:302012-09-08T08:07:52.914+05:30लेख काफी सोचने पर मजबूर करता है ,शुभ कामनाये manju...लेख काफी सोचने पर मजबूर करता है ,शुभ कामनाये manjulमंजुल भटनागर https://www.blogger.com/profile/08251331220118304121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-8278008981193974982012-09-08T07:25:49.044+05:302012-09-08T07:25:49.044+05:30दिखावा ना करके समुचित समाधान ढूढना होगा . चटकारे...दिखावा ना करके समुचित समाधान ढूढना होगा . चटकारे लेकर खबर दिखाने से समाज में क्रांति नहीं आती , सडक पर उतरना होगा.. सम्यक दृष्टि डाली है आपने. साधुवाद . ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.com