tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post6852515968966311824..comments2024-01-07T14:43:29.542+05:30Comments on झरोख़ा: नदिया की धारा से पूछा.......निवेदिता श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-3047969995753598672011-04-05T23:11:24.056+05:302011-04-05T23:11:24.056+05:30आप सबका आभार .......आप सबका आभार .......निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-87355020453934993072011-04-05T18:26:00.275+05:302011-04-05T18:26:00.275+05:30हवा और लहर के संवाद माध्यम से बहुत कुछ व्यक्त करने...हवा और लहर के संवाद माध्यम से बहुत कुछ व्यक्त करने में सक्षम ...<br />सार्थक सदेश देती रचना ....बुनावट प्रशंसनीयसुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-13217799437174536102011-04-05T13:01:06.828+05:302011-04-05T13:01:06.828+05:30तुम पर कैसे न कोई
अन्तर कभी आ पाए !
बहुत अच्छा प...तुम पर कैसे न कोई<br />अन्तर कभी आ पाए ! <br /><br />बहुत अच्छा प्रश्न ....अपने ही जीवन से ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-48532406576045581932011-04-05T12:42:43.850+05:302011-04-05T12:42:43.850+05:30मैंने कुछ न देखा पथ में,
सबको साथ लिया, बह निकली। ...मैंने कुछ न देखा पथ में,<br />सबको साथ लिया, बह निकली। <br /><br />बेहतरीन शब्द रचना ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-43961288971260068922011-04-04T20:59:03.010+05:302011-04-04T20:59:03.010+05:30पावन, निर्मल भाव.पावन, निर्मल भाव.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-55875300117552294542011-04-04T18:02:43.057+05:302011-04-04T18:02:43.057+05:30मैंने कुछ न देखा पथ में,
सबको साथ लिया, बह निकली।मैंने कुछ न देखा पथ में,<br />सबको साथ लिया, बह निकली।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-54706576085969331902011-04-04T17:28:08.733+05:302011-04-04T17:28:08.733+05:30प्रिय निवेदिता जी
बहुत ही उम्दा प्रयाश है कमाल की ...प्रिय निवेदिता जी<br />बहुत ही उम्दा प्रयाश है कमाल की पंक्तियाँ है |<br />धन्यवाद<br />-------------------<br />यहाँ भी आयें|<br />आपकी टिपण्णी से मुझे साहश और उत्साह मिलता है|<br />कृपया अपनी टिपण्णी जरुर दें|<br />यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ . हमारा पता है ... www.akashsingh307.blogspot.comआकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17420922344485600342noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-73945775669562878482011-04-04T15:52:10.943+05:302011-04-04T15:52:10.943+05:30जब भी दूसरे की प्रकृति देखेंगे
प्रकृति अपनी ही प...जब भी दूसरे की प्रकृति देखेंगे <br />प्रकृति अपनी ही प्रदूषित करेंगे ...<br />per kahan samajhna chahta hai koi ! achhi rachnaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-43869559099687076972011-04-04T15:48:07.395+05:302011-04-04T15:48:07.395+05:30जब भी दूसरे की प्रकृति देखेंगे
प्रकृति अपनी ही प...जब भी दूसरे की प्रकृति देखेंगे <br />प्रकृति अपनी ही प्रदूषित करेंगे ...<br /><br />बहुत ही अच्छा सन्देश दिया है आपने.<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-30077145538955433882011-04-04T15:30:24.641+05:302011-04-04T15:30:24.641+05:30शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची ह...शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8823361892061198472.post-494977594061086132011-04-04T15:30:04.944+05:302011-04-04T15:30:04.944+05:30निवेदिता जी
नमस्कार
....दिल को छू लेने वाली प्रस्त...निवेदिता जी<br />नमस्कार<br />....दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती<br />यथार्थमय सुन्दर पोस्ट<br />कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com