सोमवार, 16 मई 2016

अबके बरस बरसात न बरसी ........




उफ़्फ़ अबके बरस बरसात न बरसी
इन आँखों से ये बारिश उधार ले लो
सूर्यमुखी से तुम न तपिश में झुलसो
मेरी दुआ के साये तले बसेरा कर लो
लड़खड़ाते हैं ये कदम तुम्हारे तो क्या
मेरे मन के विश्वास का सहारा ले लो
साँसे मेरी अब थमने को हैं तो क्या
अपनी यादों में ही जिंदगी मुझे दे दो .... निवेदिता

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-05-2016) को "अबके बरस बरसात न बरसी" (चर्चा अंक-2345) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बरसेगी इस बरस भी - मन के विश्वास का सहारा है न !

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  3. अपने वक़्त पर ही सब होता है ...
    आएगा वक़्त बरसने का

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