सोमवार, 28 नवंबर 2011

अनमोल ईश्वरीय छवि ........


                                इन अधरों पर खिली हँसी ,मेरे मन में बसती है
                               ये नयन बड़े ही प्यारे हैं ,इनमे बसे मेरे रंग सारे हैं

                               ये कदम जब भी लड़खड़ाये ,बाँहे खुद बढ़ आयी
                               पलकें राह बुहार आयीं ,जब रेत की आहट पायी

                               ख्यालों में भी जब - जब ,अंधियारे बादल छाये
                               मंगलदीप के जुगनू बना ,अमावस भी जगमगाई

                               बताओ क्या अब भी ,तुम यही मुझसे पूछोगे
                               मेरे मन की आहट पा ,कैसे सजाये ये चौबारे हैं

                              सच बोलूँ तुममें ही तो ,मेरी आत्मा बसती है
                              तुममें दिखती अनमोल ईश्वरीय छवि मनोहारी है !
                                                                                  -निवेदिता

21 टिप्‍पणियां:

  1. इससे बडा और क्‍या सुख हो सकता है ??
    अच्‍छी भावाभिव्‍यक्ति !!

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  2. माँ की ममता अपार है....बहुत सुन्दर...मेरी नई पोस्ट में आप का स्वागत है....

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  3. waah bahut accha laga...yun beto ke sath aapko is tarh khush dekh kar....ishwar ki kripa bani rahe..aabhar

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  4. सुंदर रचना ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/.

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  5. मां.....
    सिर्फ यही शब्‍द काफी है.....
    सुंदर रचना।
    गहरे भाव।

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  6. माँ ...यह शब्द ही दुनिया समेटे है ..... बहुत सुंदर पंक्तियाँ

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  7. बहुत ही खूबसूरती से समेटे हुये प्रत्‍येक भाव को ...बेहतरीन ।

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  8. कल 30/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, थी - हूँ - रहूंगी ....

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  9. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
    चित्र में जरा बताईयेगा कौन कौन महान् विभूतियाँ हैं जी.

    आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,निवेदिता जी.

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  10. भावपूर्ण..बढ़िया लिखा है .

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  11. भावप्रवण रचना आदरणीय निवेदिता जी...
    अभी कुछ दिन पूर्व अपने मित्र दम्पति को ‘ट्विन’ प्राप्त होने पर कही गीत की पंक्तियाँ बरबस याद हो आयीं...
    || दोनों आँखों में दो तारे, जगमग झिलमिल गाते हों
    मन अम्बर में दोनों के बन, इन्द्रधनुष इठलाते हों ||


    सादर बधाई....

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  12. यह सुख मां की गोद में ही मिलता है।

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