बुधवार, 29 सितंबर 2010

WORDS

Words.........
How miserable
That we should only
communicate through them !
But remember a few of my past actions.....
If you keep the memories
Or else ......
Give me another chance ,
To say
Over and over again
The unsaid .
So many things did I want to say to you,
I dont know why
The words were lost
in my throat.
I am training myself to tutor my words ...
Unsaid into said
And banish the said ...which
did never really exist .

मंगलवार, 28 सितंबर 2010

हमारे बेटे का जन्मदिन

सागर के किनारे तक .........
तुम्हे पहुंचाने का ...
उदार उदय्म ही मेरा हो
फ़िर वहां जो लहर हो तारा हो,
सोनतरी हो अरुण सवेरा हो ओ मेरे वर्य
तुम्हारा हो , तुम्हारा ,तुम्हारा हो!

सोमवार, 27 सितंबर 2010

बेटियों का दिन

सितम्बर माह के अन्तिम रविवार को बेटियो का दिन मनाया जाता है,परंतु आज के इस माहौल में इस दिन की सार्थकता पर ही अनेक प्र्शनचिन्ह लगे दिखते हैं ।बेटियां सहज भाव से निडर हो कर रास्तों में नहीं चल पाती हैं । ये वही रास्ते हैं ,जो उनको सफ़लता के सबसे ऊंचे स्थानों पर पहुंच कर स्वभिमान से सार्थक जीवन बिता सकने के अवसर देते हैं। इसलिये इस दिन को तभी मनायें , जब हम उनको एक सहज परिवेश दे जहां वो द्रिढ्तापूर्वक कदम बढा सकें । अगर ये न हो पाया तो बेटियों की अस्मिता इस दिन ही मान पायेगी।